डायरेक्ट सेलिंग गाइडलाइन्स इन हिंदी पीडीऍफ़ (Direct Selling Guidelines in Hindi pdf 2021)
Direct Selling Guidelines in Hindi PDF डायरेक्ट सेलिंग गाइडलाइन्स इन हिंदी पीडीऍफ़ दोस्तों आज हम डायरेक्ट सेलिंग की गाइडलाइन्स के बारे में बात करेंगे। और जानेगे क्या ये गाइडलाइन्स नेटवर्क मार्केटिंग इंडस्ट्री को सही दिशा में लेकर जा रही है या नहीं। अगर आप इस गाइडलाइन्स को डाउनलोड करना चाहते है तो निचे दिए लिंक से डाउनलोड कर सकते है तो चलिए बात करते है गाइडलाइन्स के बारे में।
डायरेक्ट सेलिंग गाइडलाइन्स इन हिंदी (Direct Selling Guidelines in Hindi PDF)
नोट : यह गाइडलाइन्स 100% एक्यूरेट नहीं है जैसा की उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा बताई गई है। इसमें शब्दों का हेर फेर हो सकता है हमने आपको समझाने के लिए गाइडलाइन्स का हिंदी अनुवाद किया है।
धारा 1: परिभाषा
1. अधिनियम :- का अर्थ है उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (1986 का 68);
2. उपभोक्ता :- का वही अर्थ है जो अधिनियम में लिखा गया है। उपभोक्ता वह व्यक्ति होता है जो वस्तुओ और सेवाओं को खरीदता है।
3. प्रॉस्पेक्ट :- वह व्यक्ति होता है जिसे किसी डिस्ट्रीब्यूटर के द्वारा आमंत्रित किया जाता है। और उसे नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी में ज्वाइन कराया जाता है
4. डायरेक्ट सेलर :- वह व्यक्ति होता है जो डायरेक्ट सेलिंग कंपनी से आधिकारिक रूप से जुड़ा होता है। तथा कंपनी के प्रोडक्ट और सर्विसेज को बेचता है।
5.डायरेक्ट सेलिंग का नेटवर्क :- इसका अर्थ डायरेक्ट सेलर के उस नेटवर्क से है। जो वस्तुओ और सेवाओं को बेचने के लिए अलग अलग लेवल पर कार्य करते है। और वो लोग नए लोगो को बिज़नेस में लाते है। तथा अपने प्रॉस्पेक्ट को आगे बढ़ने में मदद करते है।
6. डायरेक्ट सेलिंग :- का अर्थ है की वस्तुओ और सेवाओं को फैक्ट्री से सीधा उपभोक्ता तक पहुँचाना और वस्तुओ और सेवाओं को बिना किसी पिरामिड स्कीम के अंदर आए बेचना ही डायरेक्ट सेलिंग कहलाता है।
बशर्ते माल या सेवाओं की ऐसी बिक्री उपभोक्ताओं को, सामान्यतया उनके घरों में या उनके कार्यस्थल पर या ऐसे सामान और सेवाओं के स्पष्टीकरण और प्रदर्शन के माध्यम से अथवा किसी विशेष स्थान पर, "स्थायी खुदरा स्थान" के माध्यम से होती हो।
7. डायरेक्ट सेलिंग एंटिटी :- डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को ही डायरेक्ट सेलिंग एंटिटी कहा जाता है। जो की पिरामिड स्कीम में न आती हो और अपनी वस्तुओ और सेवाओं को डायरेक्ट सेलर के माध्यम से बेचती हो
8. वस्तुए और सेवाए :- वस्तुए और उसे ही माना जाएगा जो अधिनियम 1930 में कहा गया है। और सेवाएं उसे मानी जाएगी जो अधिनियम 1886 में बताई गई है।
9. बेचने योग्य :- का अर्थ है की जो भी वस्तुए और सेवाए कंपनी बेच रही है। वो बेचने लायक होनी चाहिए जिनका इस्तेमाल पहले न किया गया हो। वस्तुए और सेवाए एक्स्पायर्ड नहीं होनी चाहिए। और जो किसी खास सीजन में न बिकती हो तथा जिसकी बिक्री कभी रोकी न गई हो और न ही रोकी जाए।
10. कूलिंग ऑफ़ पीरियड :- का अर्थ उस समय की अवधि से है जब डायरेक्ट सेलर किसी कंपनी से धारा 4 के तहत समझौता करता है। और अगर डायरेक्ट सेलर चाहे तो उस तारीख के समाप्त होने से पहले समझौते हो रद कर सकता है। और वो भी बिना किस दंड के अधीन आए।
11. पिरामिड स्कीम :- पिरामिड स्कीम वह होती है जो डायरेक्ट सेलिंग के नाम पर चलती है। पर वास्तव में वो डायरेक्ट सेलिंग और नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी नहीं होती है। सभी पिरामिड स्कीम कम्पनिया गैरकानूनी होती है पिरामिड स्कीम का मतलब होता है की एक मल्टी लेयर नेटवर्क को बनाना और नए लोगो को एक के निचे एक जोड़ना और खुद हाई पोजीशन पर रहना और उनसे प्रॉफिट कमाना। इसे ही पिरामिड स्कीम कहते है। डायरेक्ट सेलिंग गाइडलाइन्स के अनुसार अगर कंपनी में यह सब गुणवत्ता नहीं है तो वह कंपनी पिरामिड स्कीम में आएगी
A. किसी भी कंपनी में डायरेक्ट सेलर को नई जोइनिंग करने पर इंसेंटिव तथा किसी भी प्रकार का
कमीशन नहीं मिलना चाहिए।
B. किसी भी डायरेक्ट सेलर को वस्तुए और सेवाओं को लेने के लिए कंपनी के द्वारा जबरजस्ती
नहीं की जानी चाहिए।
अ ) वस्तुओ और सेवाओं का मूल्य बाजार के हिसाब से होना चाहिए।
ब ) कंपनी के द्वारा वस्तुओ और सेवाओं की ज्यादा मात्रा न बेचीं जाती हो। तथा
उपभोक्ता अपनी मर्जी के हिसाब से जितना चाहे उतना खरीद सकता हो
C. कंपनी के द्वारा डायरेक्ट सेलर से किसी भी प्रकार का रजिस्ट्रेशन फीस नहीं लेना चाहिए।
अगर कोई कंपनी रजिस्ट्रेशन फीस लेती है तो वह गैरकानूनी मानी जाएगी।
D. कंपनी के द्वारा डायरेक्ट सेलर को एक रिटेन कॉन्ट्रैक्ट देना चाहिए। जो की मेटेरियल टर्म के
बारे में बताता हो
E. कंपनी के डायरेक्ट सेलर को जोइनिंग के बाद कुछ समय देना चाहिए जिससे की अगर
कंपनी का डायरेक्ट सेलर चाहे तो कंपनी को छोड़ सकता है। और उस पर कोई क़ानूनी
करवाई भी न की जाए। अगर कंपनी के पास डायरेक्ट सेलर का कुछ पैसा है तो उसे वापिस
कर देना चाहिए।
F. कंपनी के पास अपने सेलर के लिए रिपर्चेज और बार बार खरीदने वाली स्कीम भी होनी
चाहिए अगर किसी उपभोक्ता को प्रोडक्ट पसंद नहीं आते तो उसे रिफंड करने की पालिसी
भी होनी चाहिए।
G. डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को डायरेक्ट सेलर के द्वारा पूछे गए सभी सवालो के जवाब जल्द से जल्द
देना चाहिए और डायरेक्ट सेलर के द्वारा बताई गई सभी परेशानी को जल्द से जल्द हल कर
देना चाहिए।
12. मनी सर्कुलेशन स्कीम : - मनी सर्कुलेशन स्कीम को प्राइज चिट्स और मनी सर्कुलेशन स्कीम धारा 1978 में बताया गया हैं इस मतलब है की कई कम्पनिया बिना प्रोडक्ट के केवल पैसा लगाओ और पैसा कमाओ वाला स्कीम चलाती है। जिसमे पैसा घूमता रहता है। इस प्रणाली में कंपनी को अधिक लाभ मिलता है और डायरेक्ट सेलर को बहुत कम लाभ मिल पाता है। ये धारा 12 दिसंबर 1978 में लागु की गई थी।
13. पारिश्रमिक प्रणाली :- का अर्थ है की कोई भी डायरेक्ट सेल्लिंग कंपनी डायरेक्ट सेलर को उसी हिसाब से पैसे दे जिस हिसाब से बिज़नेस प्लान में बताया गया है। अगर कोई भी कंपनी ऐसा नहीं करती तो वह गैरकानूनी मानी जाएगी।
A. कंपनी के द्वारा नई जोइनिंग पर डायरेक्ट सेलर को किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक नहीं
मिलाना चाहिए
B. परन्तु वस्तुओ और सेवाओं की बिक्री पर डायरेक्ट सेलर को जरूर पारिश्रमिक मिलना
चाहिए। जो भी बिज़नेस प्लान में बताया जाता हो।
C. कंपनी को साफ साफ बताना चाहिए की वो किस प्रणाली से डायरेक्ट सेलर को पैसा दे रही
है।
14. राज्य में संघ राज्य क्षेत्र भी शामिल है।
धारा 2. डायरेक्ट सेलिंग व्यवसाय की स्थापना के लिए शर्तें:
किसी भी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को सुरु होने के 90 दिनों के अंदर निचे दी गई सभी बातो को पूरा करना होगा। अगर कंपनी के द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है तो कंपनी गैरकानूनी मानी जाएगी।
1. डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को खुद को भारत सरकार के अंतर्गत पंजीकृत करना होगा।
2. कंपनी को अपने डायरेक्ट सेलर के लिए मीटिंग और सेमिनार करना होगा। तथा डायरेक्ट सेलर को कंपनी की प्रोफाइल, बिज़नेस प्लान, प्रोडक्ट्स आदि के बारे में अच्छे से समझाना होगा। जिससे की डायरेक्ट सेलर को कंपनी की सभी बाते मालूम हो। और वो सभी बाते नए लोगो को बता सके।
3. कंपनी को अपने प्रोडक्ट्स तथा बिज़नेस प्लान के बारे में सही और पूरी जानकारी देनी होगी साथ ही इससे जुड़े सभी सवालो के जवाब भी देने होंगे।
4. कंपनी को अपने डायरेक्ट सेलर के सभी प्रकार के इनकम को समय पर देना चाहिए।
5. कंपनी के द्वारा अपने डायरेक्ट सेलर के पैसे वापिस करने तथा प्रोडक्ट वापिस करने की पूरी गारंटी लेनी होगी।
6. कंपनी को अपने डायरेक्ट सेलर को कूलिंग ऑफ़ पीरियड के बारे में बताना होगा। जिसमे की कोई भी डायरेक्ट सेलर चाहे तो वस्तुओ और सेवाओं को ( न पसंद आने पर ) कूलिंग ऑफ़ पीरियड के दौरान वापिस कर सकता है।
7. कंपनी के प्रमोटर और मुख्य प्रबंधक पर पिछले पांच सालो में कोई भी आपराधिक मामला कोर्ट में दर्ज नहीं होना चाहिए।
8. कंपनी जिस भी देश या राज्य में काम कर रही हो। उस राज्य में कंपनी का हेड ऑफिस तथा बहुत सारे डिस्ट्रीब्यूटर सेंटर होना चाहिए। जिससे की वस्तुओ का लेनदेन हो सके। तथा कस्टमर की परेशानियो का भी हल किया जा सके।
धारा 3 डायरेक्ट सेलिंग बिजनेस के संचालन के लिए शर्तें
प्रत्येक डायरेक्ट सेल्लिंग कंपनी को निम्नलिखित शर्तों का पालन करना होगा।
1. यह व्यामपार चिन्ह, सेवा चिह्न या कोई अन्य पहचान चिन्ह का स्वामी, धारक, लाइसेंसधारी होगा जो बेची जाने वाली या आपूर्ति की जाने वाली सेवाओं के साथ इकाई की पहचान करेगा।
2. कंपनी के द्वारा सभी डायरेक्ट सेलर्स को आइडेंटिटी कार्ड्स देने चाहिए।
3. कंपनी को खुद मैन्युअल या इलेक्ट्रॉनिक रूप से अपने प्रोडक्ट तथा सर्विसेज, व्यापार लेन देन, अनुबंध की शर्तें, प्रोडक्ट्स की कीमत, इनकम प्लान, डायरेक्ट सेलर्स की पूरी जानकारी, सक्रिय स्थिति, कमाई, आदि सभी के बारे में पूरी जानकारी रखना चाहिए।
a) प्रत्येक प्रत्यक्ष बिक्री इकाई "प्रत्यक्ष विक्रेताओं का रजिस्टर" रखेगी जिसमें सभी नामांकित
प्रत्यक्ष विक्रेता के प्रासंगिक ब्यौरे अद्यतन और रखरखाव किए जाएंगे;
b) सभी डायरेक्ट सेलर्स की पूरी जानकारी रखनी ही है। साथ ही पते का प्रमाण, पहचान का
प्रमाण, तथा पैन कार्ड की पुर जानकारी रखनी होगी।
4. कंपनी को सभी जानकारी रखने के साथ साथ एक वेबसाइट भी बनानी होगी। जिसमे कंपनी की संपर्क जानकारी, इसके प्रबंधक उत्पाद, प्रोडक्ट्स की पूरी जानकारी, प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता का प्रमाण, मूल्य, पूर्ण आय योजना, डायरेक्ट सेलर्स के साथ अनुबंध की शर्तों की भी पूरी जानकारी वेबसाइट पर रखनी होगी। वेबसाइट के पास डायरेक्ट सेलर तथा उपभोक्ता शिकायतों को दर्ज करने के लिए जगह होनी चाहिए। साथ ही सुनिश्चित करे की ऐसी शिकायते करने के 45 दिन के भीतर शिकायतों का समाधान किया जाना चाहिए।
5. कंपनी को निम्न बातो की जानकारी अपन डायरेक्ट सेलर को समय समय पर देनी होगी। जैसे आवधिक खाते, किसी सूचना से सम्बंधित जानकारी, बिक्री, कमाई का विवरण, कमीशन, बोनस और डायरेक्ट सेलर्स के साथ समझौते के अनुसार अन्य प्रासंगिक डेटा तथा सभी वित्तीय बकाया का भुगतान किया जाना चाहिए और व्यावसायिक रूप से किए गए किसी भी रोक का भुगतान किया जाना चाहिए।
6. कंपनी को अपने सभी डायरेक्ट सेलर और डिस्ट्रीब्यूटर पर मासिक आधार पर नजर रखनी चाहिए। जिसमे कितना खरीदारी हुई है। इस पर कंपनी को ध्यान देना होगा। अगर खरीदारी का अमाउंट VAT से अधिक हो तो कम्पनी के द्वारा डायरेक्ट सेलर्स को VAT चुकाने के लिए सूचित करना होगा।
7. डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को क्या-क्या करना चाहिए।
a ) डायरेक्ट सेलिंग कंपनी किसी भी डायरेक्ट सेलर को गलत जानकारी तथा आधी अधूरी जानकारी और लालच देकर कंपनी में ज्वाइन नहीं कर सकती है।
b ) कोई भी डायरेक्ट सेल्लिंग कंपनी अपने डायरेक्ट सेलर से ऐसे वादे नहीं कर सकती है जिनको पूरा नहीं किया जा सकता है।
c ) डायरेक्ट सेलिंग कंपनी में काम करने के लिए किसी भी प्रकार के झूठे वादे तथा लालच देकर किसी को भी कंपनी में नहीं लाना चाहिए।
d ) किसी भी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को निम्न के बारे में भ्रामक और झूठी बाते नहीं करनी चाहिए। जैसे पारिश्रमिक प्रणाली कंपनी तथा डायरेक्ट सेलर के बीच किये गए एग्रीमेंट एवं वस्तुए और सेवाए।
e ) कंपनी को भी अपने डायरेक्ट सेलर्स को ऐसे अधिकार नहीं देने चाहिए। जैसे गुमराह करके तथा झूठ बोलकर नए लोगो को बिज़नेस में लाने का अधिकार नहीं देना चाहिए।
f ) कोई भी कंपनी धोखाधड़ी, जबरजस्ती, किसी को उत्पीड़न करके तथा गैर क़ानूनी तरीके से डायरेक्ट सेलिंग नहीं कर सकती है। और कंपनी ऐसा वस्तुओ और सेवाओं को बेचने के लिए भी नहीं कर सकती है।
g ) किसी भी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को नए डिस्ट्रीब्यूटर से प्रवेश शुल्क, नवीनीकरण शुल्क और किसी भी प्रकार का उपकरण लेन के नाम पर कंपनी के द्वारा पैसे नहीं लिया जाना चाहिए। कंपनी केवल वस्तुओ तथा सेवाओं की खरीद पर ही पैसे ले सकती है।
h ) कंपनी के द्वारा किस भी डायरेक्ट सेलर को नई जोइनिंग पर करने पर किसी भी प्रकार का लाभ नहीं मिलाना चाहिए।
i ) कंपनी को अपने डायरेक्ट सेलर्स से मासिक सदस्यता शुल्क तथा नवीनीकरण शुल्क भी नहीं लेना चाहिए।
8. कोई भी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी अपने डिस्ट्रीब्यूटर तथा डायरेक्ट सेलर्स के द्वारा वस्तुओ तथा सेवाओं को बेचने के लिए जो भी तरीका अपनाती हो। उसकी जिम्मेदार कंपनी खुद होगी। चाहे उनको प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जोड़ा गया हो।
धारा 4 डायरेक्ट सेलिंग कंपनी और डायरेक्ट सेलर के बीच डायरेक्ट सेलिंग अनुबंध पर समझौता
1. प्रत्येक डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को किसी व्यक्ति के नामांकन से पहले प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में डायरेक्ट सेलर से एक समझौता करना होगा।
a) यह समझौता भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 10 के अनुरूप तरीके से उपबंधित किया जाएगा।
b) इस समझौते के तहत पार्टियों के अधिकारों और दायित्वों के अलावा इन दिशानिर्देशों या किसी अन्य कानून के लागू होने पर, पार्टियों के पास अधिकार होंगे और दायित्वों जो पार्टियों के अधिकारों और दायित्वों के साथ सुसंगत हैं।
2. इस समझौते को लिखित रूप में होना चाहिए जिसमे खुद को नामांकन करने की शर्तें भी बताई जानी चाहिए।
a) किस भी डायरेक्ट सेलर को वस्तुए तथा सेवाए को इसकी कीमत से अधिक पर खरीदने के लिए मजबूर तथा प्रेरित नहीं करना चाहिए। जो एक उचित अवधि के भीतर उपभोक्ता को बेची जाने वाली अपेक्षा की जा सकती है।
b) कंपनी डायरेक्ट सेलर को एक समय सिमा दे जिसमे डायरेक्ट सेलर अपना नामांकन रद कर सके और खरीदे हुए प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को वापिस कर के अपने पैसे ले सके।
c) अगर कोई डायरेक्ट सेलर पिछले दो सालो से खरीदारी नहीं कर रहा है तो ऐसे में कंपनी डायरेक्ट सेलर को एक उचित नोटिस भेजकर कॉन्ट्रैक्ट को खत्म कर सकता है।
d) कंपनी के द्वारा वापिस खरीदारी और पुर्नखरीद निति लागु करनी चाहिए। जैसे कोई डायरेक्ट सेलर वस्तुओ और सेवाओं को आगे बेचने के लिए खरीदता है और किसी कारणवश वह वस्तुओ तथा सेवाओं को आगे नहीं बेच पाता है। इस स्थिति में कंपनी को वस्तुए तथा सेवाओं को वापिस लेना होगा। और डायरेक्ट सेलर को पैसे वापिस देने होंगे।
धारा 5 डायरेक्ट सेलर्स के कुछ दायित्व
1. डायरेक्ट सेलर को डायरेक्ट सेलिंग कंपनी के द्वारा मिले पहचान पत्र कार्ड को हमेशा अपने साथ रखना चाहिए और बिना किसी कस्टमर की अनुमति के उनको प्लान दिखाने नहीं जाना चाहिए।
2. कोई भी डायरेक्ट सेलर जब अपने प्रॉस्पेक्ट से पहली बार मिले तब उसके पूछने से पहले अपने बारे में सही जानकारी दे और डायरेक्ट सेलिंग कंपनी की पहचान के बारे में बताए। तथा वस्तुओ और सेवाओं की सही सही जानकारी दे और कंपनी के उदेश्य के बारे में बताए।
3. डायरेक्ट सेलर को अपने प्रॉस्पेक्ट तथा कस्टमर को प्रोडक्ट की सही और पूरी जानकारी देनी चाहिए। जैसे कीमत, उधार की अवधी, भुगतान की शर्तें, वापसी नीति, गारंटी की शर्तें, और बिक्री करने के बाद सेवा, इन सभी के बारे में सही और पूरी जानकारी दे।
4. बिक्री के समय प्रॉस्पेक्ट तथा उपभोक्ता को निम्नलिखित जानकारी प्रदान करे।
a) नाम, पता, नामांकन संख्या, पहचान पत्र, डायरेक्ट सेलर का फ़ोन नंबर और डायरेक्ट सेलिंग कंपनी की जानकारी
b) बेचीं जाने वाली वस्तुओ तथा सेवाओं का विवरण।
c) लेन देंन से पहले उपभोक्ता को कंपनी के वस्तुओ और सेवाओं के वापिस करने की निति के बारे में बताए।
d) ऑडर की तारीख, उपभोक्ता द्वारा भुगतान की जाने वाली कुल राशि, बिल और रसीद।
e) प्रोडक्ट के निरिक्षण के लिए समय और जगह। सामान की डिलीवरी।
f) ऑडर के रद करने और वापिस करने के लिए उसके अधिकारों की जानकारी और भुगतान की गई रकम पर पूर्ण लाभ।
g) शिकायत निवारण तंत्र के बारे में विवरण।
5 डायरेक्ट सेलर को एक किताब रखनी चाहिए। जिसमे प्रोडक्ट्स, मूल्य, कर और मात्रा तथा सभी जानकारी रखनी चाहिए। जो भी वस्तुए और सेवाओं को बेचते हो।
6. एक डायरेक्ट सेलर को यह नहीं करना चाहिए।
a) गलत अधूरी जानकारी तथा गुमराह करके आप बिज़नेस नहीं सकते है।
b) भ्रामक, गलत तथा अनुचित जानकारी देकर किसी को भी आप अपने बिज़नेस की तरफ आकर्षित न करे। और न ही उन्हें भ्रमित करके अपने बिज़नेस में लाए।
c) किसी भी डायरेक्ट सेलर को अपने प्रॉस्पेक्ट से ऐसा वादा नहीं किया जाना चाहिए जिसे पूरा नहीं किया जा सकता है।
d) किसी भी डायरेक्ट सेलर को अपने कस्टमर के सामने कंपनी की झूठी तारीफ नहीं करना चाहिए।
e) डायरेक्ट सेलिंग करते समय जानबूझकर आप पारिश्रमिक प्रणाली और डायरेक्ट सेलिंग कंपनी तथा नए डायरेक्ट सेलर के बीच समझौता गलत तरीके से नहीं करवा सकते है। और वस्तुओ और सेवाओं को आप गलत जानकारी तथा भ्रमित करके नहीं बेच सकते है।
f) अपने साथ जुड़ने वाले नए डायरेक्ट सेलर को जबरजस्ती ज्यादा मात्रा में प्रोडक्ट खरीदने के लिए मजबूर न करे।
g) प्रॉस्पेक्ट तथा डायरेक्ट सेलर को ऐसे लेक्चर तथा ट्रेनिंग मेटेरियल न दे। जो की कंपनी ने खुद जारी न किया हो। क्योकि उन लेक्चर और ट्रैनिग मेटेरियल में कुछ गलत बाते हो सकती है। जिसमे की कस्टमर भ्रमित हो।
h) किसी भी प्रॉस्पेक्ट और डायरेक्ट सेलर को लेक्चर, ट्रेनिंग मेटेरियल, बिक्री प्रदर्शन उपकरण लेने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
Dhara 6 डायरेक्ट सेलिंग कंपनी और डायरेक्ट सेलर के बीच संबंध
1.1 डायरेक्ट सेलिंग कंपनी और डायरेक्ट सेलर के बीच संबंध का निर्धारण लिखित करार के अनुसार किया जाएगा। जिसमे प्रत्यक्ष रूप से प्रत्यक्ष बिक्री कारोबार के संचालन की शर्तों के रूप में प्रदान किये गए अधिकारों और दायित्व को निहित किया जाएगा। इन परेशानियो के मामले में प्रत्यक्ष बिक्री निकाय और प्रत्यक्ष बिक्रेता की बाध्यता का उपबंध किया जाएगा।
1.2 अन्य सभी अधिकारों और दायित्वों का निर्धारण डायरेक्ट सेलिंग कंपनी और डायरेक्ट सेलर के बीच लिखित करार की अभिवयक्त शर्तों के अनुसार किया जाएगा।
2. डायरेक्ट सेलिंग कंपनी अपने डायरेक्ट सेलर के द्वारा वस्तुओ और सेवाओं या व्यापार के अवसरों की बिक्री से उद्भूत शिकायतों के लिए उत्तरदायी होगी।
3. डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को अपने डायरेक्ट सेलर पर नजर रखनी होगी। तथा डायरेक्ट सेलर के द्वारा अपनाई विधियों की जिम्मेदार कंपनी होगी।
धारा 7 उपभोक्ता संरक्षण के लिए आचरण
1. डायरेक्ट सेलिंग कंपनी तथा डायरेक्ट सेलर्स को उपभोक्ता के द्वारा दी गई पर्सनल इनफार्मेशन को गोपनीय रखना होगा।
2. प्रत्यक्ष विक्रेता और डायरेक्ट सेलिंग कंपनी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधान के द्वारा निर्देशित की जाएगी।
3. फ़ोन, ईमेल, वेबसाइट, पोस्ट और वॉक इन पर प्राप्त सभी शिकायते की शिकायत खोजने तथा उसे सुलझाने के लिए एक शिकायत संख्या होनी चाहिए।
4. प्रत्येक डायरेक्ट सेलिंग कंपनी को एक शिकायत निवारण समिति का गठन करना होगा। जिसका काम केवल शिकायतों का समाधान करना होगा।
a) शिकायत निवारण समिति में डायरेक्ट सेलिंग कंपनी के कम से कम तीन अधिकारी होंगे।
b) शिकायत निवारण समिति शिकायतों का समाधान करेगी। और शिकायतकर्ताओं को की गई किसी भी करवाई की सूचना देगी।
c) आम जनता के किसी भी सदस्य द्वारा कंपनी कर्मचारी या कंपनी के किसी अन्य अधिकारी के विरुद्ध शिकायत की जा सकती है।
d) ऐसी सभी शिकायतों का समाधान डायरेक्ट सेलिंग कंपनी के द्वारा किया जाएगा।
5. डायरेक्ट सेलिंग कंपनी वस्तुओ और सेवाओं की खरीद पर उपभोक्ता को यह सभी जानकारी प्रदान करेगी जो निम्नलिखित है।
a) खरीदार और विक्रेता का नाम।
b) मॉल या सेवाओं की डिलीवरी की तारीख।
c) सामान लौटाने की प्रक्रिया।
d) अगर वस्तुए और सेवाए ख़राब है तो उसे वापिस लेने तथा बदलने की वारंटी लेनी होगी।
6. कोई भी व्यक्ति जो डायरेक्ट सेलिंग कंपनी के किसी भी प्रोडक्ट्स को इ-कॉमर्स वेबसाइट या मार्केटप्लेस में बेचने के लिए अपने पास रखता है। तो वस्तुए और सेवाओं को बेचने के लिए उसे कंपनी के द्वारा लिखित सहमति लेना जरुरी है।
धारा 8 पिरामिड योजना और मुद्रा परिसंचरण योजना का निषेध।
1. कोई भी व्यक्ति अथवा कंपनी किसी पिरामिड योजना को बढ़ावा नहीं देगी। जैसे की खंड 1(11) में परिभषित किया गया है। अथवा किसी भी व्यक्ति को ऐसी योजना करने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए।
2. व्यापार के अवसरों की प्रत्यक्ष बिक्री के रूप में खंड 1(12) में परिभाषित धन परिचालन योजना में कोई भी व्यक्ति भाग नहीं लेगा।
धारा 9 निगरानी प्राधिकरण की नियुक्ति
1. प्रत्यक्ष बिक्री से सम्बंधित मामलो पर विचार करने के लिए विभाग संघ में और राज्यों सम्बंधित राज्य सरकारों में उपभोक्ता कार्य विभाग होगा।
2. राज्य सरकार प्रत्यक्ष बिक्री के लिए दिशानिर्देशों के अनुपालन के सम्बन्ध में प्रत्यक्ष विक्रेता और डायरेक्ट सेलिंग कंपनी की गतिविधियों की निगरानी के लिए एक तंत्र की स्थापना करेगी।
3. प्रत्यक्ष बिक्री गतिविधियों का संचालन करने वाली कोई भी प्रत्यक्ष बिक्री इकाई उपभोक्ता कार्य विभाग को एक उपक्रम प्रस्तुत करेगी जिसमें यह सूचित किया जाएगा कि वह इन दिशानिर्देशों के अनुपालन में है तथा समय-समय पर अधिसूचित इसके निगमन तथा अन्य कारोबार विवरणों के ऐसे विवरण भी प्रदान करेगी।
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हम आशा करते है की आपको यह पोस्ट direct selling guidelines in Hindi PDF डायरेक्ट सेलिंग गाइडलाइन्स इन हिंदी पीडीऍफ़ अच्छी लगी होगी अगर आपका कोई सवाल और सुझाव हो तो कमेंट में लिखना न भूले।